संगठन की पृष्ठभूमि
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ में प्रतिभावना, उर्जस्वी तथा निष्ठावान नेताओं तथा व्यक्तियों की कोई कमी नहीं है, परन्तु एक मज़बूत, संवेदनशील तथा प्रतिनिधिमूलक संगठन की कमी तीव्रता से महसूस की जा रही थी। संघों तथा संस्थाओं का आपस में समन्वय तथा संबंध नगण्य सा था। इसीलिये खरतरगच्छ विरूद प्राप्ति के सहस्राब्दी वर्ष जैसे अकल्पनीय ऐतिहासिक अवसर के महत्त्व एवं उसके माध्यम से संघ तथा समाज में गुणात्मक परिवर्तन करने की संभावनाओं तथा अवसरों को भी हमने हस्तगत करने की दिशा में समुचित प्रयास नहीं किया था।
फिर खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपीयूषसागरसूरि जी म.सा. की मंगल प्रेरणा तथा निरन्तर सम्यक प्रयासों से गच्छ संघ समाज में नई चेतना तथा चिंतन का संचरण हुआ। देश के विभिन्न क्षेत्रों के वरिष्ठ तथा अनुभव सिद्ध अग्रणी समाज के कार्यकताओं तथा अग्रणी नेताओं को पू. आचार्यश्री ने प्रेरणा तथा मार्गदर्शन प्रदान किया, जिससे सहस्राब्दी महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने तथा इससे संघ समाज की छोटी से छोटी इकाई को जोड़ कर सहस्राब्दी महोत्सव को गच्छ जागरण का एक आंदोलन बनाने का संकल्प लिया गया।
अंततः मार्च, 2022 में कैवल्यधाम तीर्थ, दुर्ग (छ.ग.) में आचार्यश्री की निश्रा में पूरे भारत के समाज अग्रणियों की एक बैठक आयोजित की गयी, जिसमें आचार्यश्री ने खरतरगच्छ सहस्राब्दी के विरल, ऐतिहासिक प्रसंग का महत्व रेखांकित करते हुये उपस्थित जनों को प्रेरणा दी कि इस महान कार्य को सुचारू एवं सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिये राष्ट्रीय स्तर की एक संस्था का गठन किया। उपस्थित समाज अग्रणियों ने गहन एवं व्यापक विचार विमर्श के उपरान्त ‘श्री खरतरगच्छ सहस्राब्दी महोत्सव समिति’ के नाम से संस्था के गठन हेतु सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया, जिसकी करतल ध्वनि से अनुमोदना की गई। श्री ललित कुमार नाहटा (दिल्ली) के संयोजकत्व में इस समिति का गठन व पंजीयन कराया गया। अपने स्थापना काल से ही समिति समाज तथा देश के सभी खरतरगच्छ संघों, संस्थाओं तथा व्यक्तियों से सघन संपर्क कर इस सहस्राब्दी महोत्सव को चिर स्मरणीय तथा संघ समाज हितकारी बनाने की दिशा में सतत प्रयत्नशील है। संघ समाज के प्रत्येक घटक की सक्रिय सहभागिता, सहयोग तथा समर्थन से सहस्राब्दी महोत्सव के पुनीत प्रसंग को चिर स्थायी एवं गच्छ गौरव अभिवर्द्धन को हेतु बनाने के लिये सभी संकल्पित होकर उत्साहपूर्वक विविध कार्यक्रमों तथा प्रकल्पों को पूर्ण करने के लिये निरन्तर प्रयासरत हैं।